चतरू के एक करोड़ के पेड़े की ख़ासियत ..तो क्या है इन पेड़ों की खासियत

चतरू   के एक करोड़ के पेड़े की ख़ासियत ..तो क्या है इन पेड़ों की खासियत

Written by - Pooja Ahirwar 


जी हां दोस्तों यहां हम बात कर रहे हैं हरदा के चतरू के पेड़ों की बात तो आइए जानते हैं कि क्या है इन्हें पेडों की खासियत
 
तो आइए जानते हैं कि क्या है इन्हें पेडों की खासियत !  जिसके कारण इनकी चर्चा दूर-दूर तक है
 

जब भी हम मिठाई की बात करते हैं तो पेड़ों की तो बहुत सबसे पहले होती है और पेड़ों की बात होती है तो नाम आता है मथुरा के पेड़ों का लेकिन आज हम आज हम आप सभी को बताने जा रहे हैं एक बहुत ही मशहूर पेड़ की कहानी जिसका नाम है हरदा वाले चतरू के पेडे !


यह रेसिपी चतुरु ने अपने मामा से सीखी थी उसके बुरे उनके मामा शहर छोड़ कर चले गए ! अब हरदा में उनके पेडे की चार शाखा है जिसका सलाना करोबार एक करोड़ रुपये का है इसके अलावा प्रदेश के 10 शहरों में उनके पेड़ बेचे जा रहे हैं
चतरू के पेड़ के नाम से जाने जाने वाले पुरोहित स्थान भंडार पर हर प्रकार की मिठाइयाँ बन जाती हैं लेकिन यहाँ के  पेडे  बहुत ही पसंद किये जाते है 


· Pede  का इतिहास
 
पुरोहित मिष्ठान भंडारपुरोहित मिष्ठान भंडार के संचालक कमलेश पुरोहित के दिवांगत पिता चतुर्भुज पुरोहित के नाम पर पड़ा है का नाम  पुरोहित मिष्ठान भंडार के संचालक कमलेश पुरोहित के दिवांगत पिता चतुर्भुज पुरोहित के नाम पर पड़ा है चतुर्भुजी पुरोहित को उनके परिवारजन चतरू नाम से पुकारते थे 15 साल की उम्र में चतुर्भुज अपने मामा की दुकान पर पाहुंचे यहां उनके मामा ने उनको पेड़ बनाना सिखाया उसके बाद  उनके मामा शहर छोड़कर चले गए इसके बाद चतुर्भुज पेडे  बनाने लगे चतुर्भुज पुरोहित ने 15 साल की उम्र से 90 साल तक का सारा जीवन इन पेडों को बनाने में समर्पित कर दिया !मृत्यु के बाद  में अब उनके परिवार के लोग उनके कारोबार को संभाल रहे हैं और आज तक उनका पारिवारिक कारोबार चल रहा है
· आइये जानते हैं कैसे बने जाते हैं ये स्वादिष्ट पेडे
 

इने पेड़ों को बनाने में 3 घंटे का समय लगता है सबसे पहले मावे को अच्छी तरह से सैका जाता है और उसके बुरे सिक्के के साथ मावे को खूब घोटा जाता है चीनी मिलती जाती है और इसको और अच्छी  ममाँ को अच्छी तरह से हटाने के लिए मशीन का उपयोग किया जाता है मावे को अच्छी तरह से घोटने के लिए मशीन का उपयोग किया जाता है घोटने इने पेड़ों को बहुत ही साफ सफाई के साथ बनाया जाता है तथा गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाता है 

· कभी नहीं किया गुणवत्ता के साथ समझौता -

 दुकान की संचालक बताते हैं कि हमारे यहां pede कई साल से एक ही जैसा स्वाद के बनाये  जा रहे हैं इसका मुख्य  करण है कि हमने कभी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया भले ही त्यौहारो कभी कभी हमें नुक्सान उठाना पड़ा हो ! लेकिन हमने अपने नाम को हमेशा  शुध्दता  के लिए बरकरर रखा है हम दूध की जांच करते हैं तथा दूध में मिलावत ना हो इसके लिए अपने सामने ही  दूध लगवाते हैं
 
साल भर में 1 करोड़ का होता है व्यवसाय दुकान की संचालक बताते हैं कि पेड़ों की मांग पूरे  साल रहती है तथा त्यौहारों की सीजन पर इनकी  इसकी मांग और भी अधिक बढ़ जाती है और जिसके    चलते उनका पेड़ों का कारोबार एक साल में 1 करोड़ के पर चला जाता है
· पेड़ों की पैकेजिंग का रखा जाता पूरा ख्याल ताकि स्वाद में ना आए कोई भी बदलाव
 
रोहित मिष्ठान भंडार के संचालक बताते हैं कि पेडों के बनने के बाद भी हम उसकी पैकिंग करते हैं, क्या पूरा ख्याल रखते हैं, जिसके पेड़ के स्वाद में कोई भी परिवर्तन ना आए और आप pede बनने के बुरे से 45 दिनों तक ये पेड़े ख़राब नहीं होते हैं ना ही उनके स्वाद में कोई परिवर्तन आता है
 
· कई लोगों के रोजगार की वजह बना ये  पेड़ा
 जी दोस्तो पुरोहित मिष्ठान  भंडार के संचालक बताते हैं कि इस pede को बनाने के लिए poore साल 40 से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं  यहां काम साल भर चलता रहता है जिसे लोग लोगों को रोजगार मिलता है तथा पेड़ों का उत्पादन निरंतर होता रहता है
 
 
दोस्तों यह थी हरदा वाले के पेड़ों की कहानी... हम आशा करते हैं कि आपको यह पेड़ की कहानी सुनकर काफी अच्छा लगेगा और आप इन पेड़ों को जरूर खाएंगे जब भी आपको मौका मिलेगा ऐसी ऐसी ही नई नई और रोचक जानकारी जानने के लिए हमारे कलात्मक को लाइक करें और  अपने दोस्तों के साथ सांझा करें ताकि वह भी इन पेड़ों का स्वाद ले सके तथा इनके बारे में जान सके !
 
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